ऐसी बीमारी जिसमें व्यक्ति खुद को मरा हुआ मानता है, जानें क्या है बीमारी?
सेहतराग टीम
क्या ऐसी स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति खुद मरा हुआ माने? वो भी कुछ क्षण या कुछ समय नहीं बल्कि पूरी जिंदगीभर के लिए माने। दरअसल व्यक्ति ऐसे सिंड्रोम से पीड़ित हो जाता है जिसमें वह खुद को मरा हुआ महसूस करता है। इस सिंड्रोम को वाकिंग कॉपर्स सिंड्रोम कहा जाता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक 17 साल की लड़की खुद को मरा हुआ मानती थी। उन्हें कभी ऐसा लगता ही नहीं था वो जिंदा है। वो जी तो रही थी, पर हमेशा एक ऐसा अहसास होता है जैसे उनके कोई भी अंग काम नहीं कर रहें हैं। आइए जानते हैं कि क्या है यह बीमारी...
पढ़ें- बेवजह डर और घबराहट से हैं परेशान, जानें इस बीमारी के बारे में
क्या होता है वॉकिंग कॉपर्स सिंड्रोम
वॉकिंग कॉपर्स सिंड्रोम से ग्रसित आदमी को लगता है कि वह मर चुका है, लेकिन धरती पर लगातार चल रहा है। वो हर समय जबरदस्त तनाव, अनिद्रा और आत्मविश्वास खोया हुआ होता है। इसे कोटार्ड सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। ये अति दुर्लभ बीमारी है।
क्या प्रभाव पड़ता है?
इस सिंड्रोम से पीड़ित लोग खुद को चोट पहुंचाकर मार डालते हैं। इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार इसके रोगी धन-दौलत, खाने-पीने का समान होते हुए भुखमरी के कारण मर जाते हैं।
जानें इसका इतिहास
इस बीमारी का पहली बार पता 1788 में चला था, लेकिन फ्रांस के न्यूरोलॉजिस्ट जूल्स कोटार्ड ने 1880 में औपचारिक रूप से इसकी पहचान की थी। इस डिसऑर्डर की पहचान दिमाग के एक हिस्से और व्यक्ति की भावनाओं का विश्लेषण करने वाली बादाम के आकार की न्यूरॉन्स के सेट के प्रभावित होने से होती है।
लाइलाज है
वॉकिंग कॉर्प्स सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं होता है। इस डिस आर्डर में एंटी डिपरेशन, एंटीसाइकॉटिक और मूड को ठीक रखने वाली दवाईयां मदद करती है। ईलेक्ट्रो कॉनक्लूसिव थेरेपी भी इस तरह की मरीजों पर असर करती है।
(फोटो साभार- जागरण)
इसे भी पढ़ें-
दुर्लभ बीमारी है न्यूरोमायोटोनिया, न ही इसका इलाज है, न ही बचने का तरीका
Comments (0)
Facebook Comments (0)